कृष्ण ने इरावन से विवाह किया और उसकी मृत्यु पर विलाप

कृष्ण ने इरावन से विवाह किया और उसकी मृत्यु पर विलाप
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। कृष्ण जन्मोत्सव का ये पावन पर्व आने ही वाला है और चारो ओर द्वारिकाधीश की लीलाओं की चर्चाएं होने लगी हैं। ऐसे में आज हम कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर आपको श्री कृष्ण से जुड़े प्रसंगों से अवगत कराते हैं।
महाभारत से जुड़े कई ऐसे प्रसंग हैं जिनके बारे में बेहद कम जानकारी प्राप्त हैं। श्रीकृष्ण के प्रिय सखा अर्जुन के पुत्र इरावन और उनसे जुड़ी बड़ी ही रोचक कथा है। इस प्रसंग के अंतर्गत हम आपको बताएंगे कि श्री कृष्ण ने अर्जुन पुत्र इरावन से विवाह किया था और उसकी मृत्यु पर विधवा रूप में विलाप भी किया था। आइए जानते हैं श्री कृष्ण ने अर्जुन के पुत्र इरावन से विवाह क्यों किया था और इरावन ने क्यों दी थी अपनी बलि।
कौन थे इरावन
इरावन अर्जुन और उनकी दूसरी पत्नी नागकन्या उलुपी के पुत्र थे। अर्जुन पुत्र इरावन अन्य पांडवों की तरह ही बलवान और अच्छे योद्धा माने जाते थे। महाभारत के युद्ध में इरावन का युद्ध कौशल भी देखने को मिला था। उन्होंने कौरवों की सेना के कई बाहुबलियों को शिकस्त दी थी।
जब इरावन ने स्वयं जताई बलि की इच्छा
पौराणिक मान्यताओं एवं धर्मशास्त्रों के अनुसार, कुरुक्षेत्र में युद्ध करते समय कौरवों की सेना जब पांडवों पर भारी पड़ने लगी तब पांडवों को लगने लगा कि वह यह युद्ध हार जाएंगे। तब सर्वसम्मति से काली माता को नरबलि चढ़ाने की बात कही गई। सभी ने एक राय तय करके कहा कि यदि किसी राजा के पुत्र की बलि दी जाए तो पांडव यह युद्ध जीत जाएंगे। बलि देने के नाम पर कोई राजकुमार सामने नहीं आया। तब अर्जुन के पुत्र इरावन सामने आए और बलि देने को राजी हो गए।
बलि देने से पहले रखी शर्त
अर्जुन की तरह ही इरावन भी महान धनुर्धर थे। वे बलि देने को तो राजी हो गए लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि वह विवाहित मरना चाहते हैं। लेकिन फिर सवाल उठाया गया कि जो राजकुमार कुछ ही क्षणों में मृत्यु के गाल में समा जाएगा उसे विवाह कौन करेगा।
श्री कृष्ण ने मोहिनी रूप में किया विवाह
पुराणों के अनुसार ऐसे में श्री कृष्ण आगे आए और उन्होंने मोहिनी रूप धारण करके इरावन से विवाह कर लिया। विवाहोपरांत अगले दिन जब काली माता के समक्ष इरावन की बलि दी गई तब श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप में एक विधवा की तरह खूब विलाप किया।
इरावन को देवता मानते हैं किन्नर
मान्यता है किन्नर इरावन को देवता मानते हैं। दक्षिण भारत में तमिलनाडु के वेल्लुपुरम जुले में इरावन का मंदिर बना हुआ है। मान्यता के अनुसार किन्नर साल में एक बार इरावन से विवाह करते हैं। इसके अगले दिन वह मंगलसूत्र और चूड़ियां समेत उतारकर विधवा के रूप में विलाप करती हैं।
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