हंस के जोड़े ने उन्हें श्राप दिया और अगले जन्म में जन्मांध के साथ ही धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों का भी उसी तरह वध हुआ, जिस तरह से उन्होंने हंस के बच्चों को मारने का आदेश दिया था।