षटतिला एकादशी का महत्व पुराणों में वर्णित है। इस दिन भगवान विष्णु ने तपस्या करते हुए अपनी योग माया को त्यागकर सत्यभामा के साथ मिलने का निर्णय किया था। षटतिला एकादशी पूर्वापर एकादशी के रूप में भी जानी जाती है। इसका पालन करने से व्रती को पापों से मुक्ति मिलती है और उन्हें भगवान की कृपा प्राप्त होती है। इस एकादशी के दिन व्रती व्यक्तियों का कहा जाता है कि वे अनेक बीमारियों से मुक्त होते हैं । यह एकादशी व्रत, जो माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी है, विशेष रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, और उत्तर प्रदेश राज्यों में महत्वपूर्ण है।