षटतिला एकादशी की महत्वपूर्ण पौराणिक कथा साझा करें।

षटतिला एकादशी के महत्वपूर्ण पौराणिक कथा में एक प्रमुख कथा है जो भगवान विष्णु की विशेष प्रीति को दर्शाती है। यह कथा भगवत पुराण में "पूर्वापर एकादशी कथा" के रूप में जानी जाती है कहानी के अनुसार, एक समय की बात है जब वर्तमान काल के पहले काल में दिव्य सप्तर्षि नामक सप्तर्षियों ने देवराज इंद्र के इच्छा के खिलाफ एक अपार राज्य बनाने की प्रार्थना की थी। भगवान विष्णु ने उन्हें एक विशेष एकादशी के व्रत का पालन करने की सुझाव दी। इस व्रत के बारे में भगवान विष्णु ने उन्हें बताया कि यह एक अद्भुत व्रत है जिसे "षटतिला एकादशी" कहा जाएगा और इससे व्रती को सभी पापों से मुक्ति मिलेगी और उन्हें दिव्य राज्य की प्राप्ति होगी। सप्तर्षियों ने इस व्रत का पालन किया और अपने अद्वितीय भक्ति और प्रयास के कारण भगवान विष्णु ने उन्हें अपने लोक में बुलाया और वर दिया। इस कथा से स्पष्ट होता है कि षटतिला एकादशी व्रत का पालन करने से भक्त को दिव्य और शाश्वत सुख की प्राप्ति होती है और उसे भगवान के प्रति पूर्ण भक्ति मिलती है।

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