कुबेर

कुबेर

धन का स्वामी

कुबेर देवता को धन का स्वामी माना जाता है। यक्षों के स्वामी कुबेर उत्तर दिशा के दिक्पाल और लोकपाल माने जाते हैं। इन्हें भगवान् शिव का परम भक्त और नौ निधियों का देवता भी कहा गया है ।जो धन के स्वामी (धनेश) व धनवानता के देवता माने जाते हैं। वे यक्षों के राजा भी हैं। वे उत्तर दिशा के दिक्पाल हैं और लोकपाल (संसार के रक्षक) भी हैं। इनके पिता महर्षि विश्रवा थे और माता देववर्णिणी थीं। हिन्दू धर्मग्रंथों व पुराणों में लक्ष्मी जी को धन और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। वहीं कुबेरजी को भी धन का स्वामी माना जाता है। चेन्नई के वडलूर में एक ऐसा मंदिर है, जहां इन दोनों की प्रतिमा एक साथ विराजित है। कहा जाता है कि दुनिया में यही एकमात्र मंदिर है, जहां इस रूप में कुबेर लक्ष्मी संग विराजे हैं।

कुबेर का वाहन और विभिन्न नाम

कुबेर को धनपति, धनद, वैश्रवण, अलकापति आदि नामों से पुकारा गया है।भद्रा ,सूर्य देवता और छायदेवी की पुत्री थीं। वह बहुत सुन्दर थीं। धनवनता के देवता कुबेर ने उनसे विवाह किया।मेंढक, मंगल एवं कुबेर का वाहन है। कुबेर ने रावण के अनेक अत्याचारों के विषय में जाना तो अपने एक दूत को रावण के पास भेजा। दूत ने कुबेर का संदेश दिया कि रावण अधर्म के क्रूर कार्यों को छोड़ दे। रावण के नंदनवन उजाड़ने के कारण सब देवता उसके शत्रु बन गये हैं। रावण ने क्रुद्ध होकर उस दूत को अपनी खड्ग से काटकर राक्षसों को भक्षणार्थ दे दिया। कुबेर का यह सब जानकर बहुत बुरा लगा। रावण तथा राक्षसों का कुबेर तथा यक्षों से युद्ध हुआ। यक्ष बल से लड़ते थे और राक्षस माया से, अत: राक्षस विजयी हुए। रावण ने माया से अनेक रूप धारण किये तथा कुबेर के सिर पर प्रहार करके उसे घायल कर दिया और बलात उसका पुष्पक विमान ले लिया।

सौतेले भाई और विख्यात नाम

विश्वश्रवा की दो पत्नियां थीं। पुत्रों में कुबेर सबसे बड़े थे। शेष रावण, कुंभकर्ण और विभीषण सौतेले भाई थे। उन्होंने अपनी मां से प्रेरणा पाकर कुबेर का पुष्पक विमान लेकर लंका पुरी तथा समस्त संपत्ति छीन ली। कुबेर अपने पितामह के पास गये। उनकी प्रेरणा से कुबेर ने शिवाराधना की। फलस्वरूप उन्हें 'धनपाल' की पदवी, पत्नी और पुत्र का लाभ हुआ। गौतमी के तट का वह स्थल धनदतीर्थ नाम से विख्यात है।

पुराणों में विभिन्न कथाओं के अनुसार महर्षि पुलस्त्य के पुत्र महामुनि विश्रवा का महर्षि भारद्वाज की पुत्री इलविला से पाणिग्रहण संस्कार हुआ था तथा उनकी कोख से कुबेर ने जन्म लिया था। ब्रह्मा जी ने इन्हें समस्त सम्पत्ति का स्वामी बनाया

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